गुरुवार, 5 जनवरी 2012

भारतीय किसान यूनियन ने यमुनानगर ने स्वामी नाथन रिपोर्ट को लागू न किए जाने के विरोध में हरियाणा भर में रेल का चक्का जाम करने का अहवान किया था इस अहवान के अनुसार अंबाला से सहारनपुर जाने वाले रेल मार्ग पर किसानों ने यमुनानगर के मुस्तफाबाद रेलवे स्टेशन के समीप जाम लगाकर सरकार के खिलाफ जमकर नारे बाजी और ट्रेक को पूरी तरहा से बाधित कर दिया किसानों ने कालका निजामूदीन एक्सप्रेस को भी रोके रखा लगभग तीन घंटे तक किसान अपनी मांग को लेकर अडे


Ashok Yadav
 कुरुक्षेत्र 5 जनवरी

भारतीय किसान यूनियन ने यमुनानगर ने स्वामी नाथन रिपोर्ट को लागू न किए जाने के विरोध में हरियाणा भर में रेल का चक्का जाम करने का अहवान किया था इस अहवान के अनुसार अंबाला से सहारनपुर जाने वाले रेल मार्ग पर किसानों ने यमुनानगर के मुस्तफाबाद रेलवे स्टेशन के समीप जाम लगाकर सरकार के खिलाफ जमकर नारे बाजी और ट्रेक को पूरी तरहा से बाधित कर दिया किसानों ने कालका निजामूदीन एक्सप्रेस को भी रोके रखा लगभग तीन घंटे तक किसान अपनी मांग को लेकर अडे रहे वही रेल में यात्रा करने वाले यात्रियों का भी सब्र टूट पडा और वह भी परेशान होकर किसानों के साथ दो चार होने लगे इस पूरे मामले में जिला प्रशासन मूक दर्षक बना रहा।
गौरतबल है कि स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करवाने के लिए हरियाणा और पंजाब से 8 लागों का एक प्रतिनिधिमंडल भारत के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन ङ्क्षसहसे 8 मार्च को दिल्ली में मिला था जिस पर प्रधानमंत्री ने 4 राज्यों के मु यमंत्री की एक कमेटी बनाई थी जिसके अध्यक्ष हरियाणा के मु यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा थे। पर किसानों की कोई मांग को ध्यान नहीं दिया गया इस कारण आज हरियाणा प्रदेश के कुरुक्षेत्र, यमुनागर, जीन्द, पलवल और पंजाब में 16 जगहों पर रेल रोको आंदोलन की घोषणा की गई थी । कोई जवाब न आने पर दिए गए अल्टीमेटम पर आज नाराज किसानों ने यमुनानगर के मुस्तफाबाद रेलवे स्टेशन पर पहले तो जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और बाद में सैकडों किसानों ने इक्टठे होकर रेल ट्रेक पर जाम लगा दिया इस दौरान कालका से दिल्ली जाने वाली निजामूदीन एक्सप्रेस को भी किसानों ने रोक दिया और स्वय रेल ट्रेक पर लेट गए किसानों ने इस दौरान यमुनानगर से होकर निकलने वाली दर्जनों अप व डाउन रेल गार्डयों के पहियों पर ब्रेक लगा दी तीन घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी किसान रेलवे लाइनों से टस से मस नही हुए और सरकार के प्रति अपनी भडास निकालने में लगे रहे जहा तक कि किसानों ने अपने लिए रेलवे लाइनों पर ही खाना बनाना शुरू कर दिया और खाना बनने के बाद किसानों ने रेलवे ट्रेक पर ही बैठ कर खाना भी खाया लेकिन इन किसानों के आगे अंबाला व यमुनानगर सहित रेलवे पुलिस भी घुटने टेकते हुए नजर आए ।
यह पहला वाक्य है कि जब उत्तरी हरियाणा के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर रेल के पहियों को जाम किया था लेकिन उसके बाद भी पुलिस प्रशासन की इन किसानों के आगे एक नही चली जबकि रेल गाडी में सफर करने वाली महिलाओ ंका आखिरकार सब्र का बांध टूट गया और दर्जनों महिलाएं इन किसानों के धरने के बीच आकर कूद पडी और उन्होंने किसानेां से अहवान किया कि रेलगाडी को वहां से जाने दे ताकि रेल गाडी में भूखी प्यासी महिलाए अपने अपने स्टेशनो पर पहुंच सके गुस्से में रेलवे ट्रेक पर पहुंची महिलाओं की भी इन किसानों के आगे एक नही चली और किसान अपनी ही धुन में रेलवे लाइनेां पर बैठे रहे इन किसानों की मांग थी कि इनकी फसल का प्रर्याप्त मुआवजा इन लोगों को मिले और किसानों की फसल की बुआई से लेकर उनकी कटाई ओर मंडी तक ले जाने व लाने के जो भी खर्च आता है उसे सरकार दुगना कर उनको दे साथ ही किसानेां ने यह भी साफ किया कि सरकार उनसे ओने पौने भाव पर फसल ले लेती है और मोटा मुनाफा कमा कर यह लोगों तक पहुंचाती है एेसे में किसान दोनो ं ही तरफ से ठगा सा महसूस होता है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी  ने कहा सरकार ने अगर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को तुरन्त नहीं लागू किया तो एक मार्च से सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि न्याय की आश लेकर अपनी फरियाद लेकर हरियाणा के किसान केन्द्र सरकार के दर पर भी गये पर वहां भी आशा के विपरीत उन्हें निराशा ही हाथ लगी। आ िार किसानों ने आन्दोलन की राह पकड़ी। पूर्व निर्धारित रेल रोको आन्दोलन की घोषणा के अनुसार आज प्रदेश के किसानों ने कुरुक्षेत्र में स्थानीय पंचायत भवन के बाहर सैंकड़ों की सं या में इक्टठे होकर नारेबाजी की और उसके बाद रेल रोकने के लिए भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन की और कूच कर दिया। किसान रेलवे ट्रैक पर पंहुचते इससे पहले ही स्थानीय पुलिस ने उन्हें न्यायिक हिरासत में ले लिया।

क्या हैं किसानों की मांग
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करते हुए उनके फार्मूले सी2 अर्थात फसलों के भाव लागत से 50 प्रतिशत से ज्यादा दिए जाएं।
किसानों को कर्मचारियों जैसी पैंशन आदि की सुविधाएं दी जाएं।
सभी किसानों का कर्मचारियों की तरह मु त इलाज हो।
कर्जा माफ करते हुए किसानों को पूरी तरह से कर्जा मुक्त किया जाए।
रेलवे बजट की तरह कृषि का भी अलग से बजट होना चाहिए।
जिन किसानों की जमीन नदियों में आ गई है उन्हें अपनी जमीन में से रेत आदि बेचने के अधिकार दिये जाएं या सरकार उक्त जमीन को अधिग्रहण कर उसका मुआवजा स बन्धित किसान को दे।
सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो और सरकार द्वारा सभी फसलों को समय पर ारीद को सुनिश्चित करे।
जमीन अधिग्रहण मार्केट रेट से छ:गुणा अधिक कीमत पर की जाए।
बीज के लिए किसानों को क पनियों के हवाले न किया जाए, कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्च के लिए ज्यादा धन मुहैया करवाए।
फसलों का बीमा सरकार ाुद कराए व जिन किसानों से बीमा की रकम काटी गई है वह राशि वापिस किये जाए।
गांवों में बिजली शहरों के बराबर व ोती के लिए दिन में ही पर्याप्त मात्रा में बिजली दी जाए।
ोतों में नुकसान करने वाले जानवरों का प्रबन्ध सरकार स्वयं करें या फिर किसानों कों उन्हें मारने की इजाजत दे।
प्राकृतिक आपदा या फसलों के भाव गिरने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए किसान राहत कोष बनाया जाए।