शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013


ASHOK YADAV KURUKSHETRA 

पितृ पक्ष में पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध अर्पित करने का विशेष महत्व
है 16 दिनों  तक चलने वाले पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों की आत्मिक
शन्ति और उनसे असिर्वाद  लेने के लिए श्राद्ध करते है श्राद्ध का अर्थ है
श्रद्धा से पूर्वजों को अर्पित की गयी अर्चना हजारों सालों से श्राद्ध
पक्ष हिन्दू समाज में मान्य है भारत में गया जी ,फल्गु तीर्थ, पेहोवा और
कुरुक्षेत्र का विशेष महत्व है.  कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र के पवित्र
ब्रह्मसरोवर व् सन्हित सरोवर तीर्थ में पितरों का श्राद्ध करने से पितरों
को मुक्ति मिलती है, सर्व पित्री अमावस्या के दिन सभी पितरों के निमित
श्राद्ध किया जाता है, श्रधालुओं ने अपने पितरों को तर्पण देकर श्राद्ध
किया,सर्व पित्री अमवस्या के दिन धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में दूर दराज से आये
हुए श्रद्धालुओ ने पवित्र ब्रह्मसरोवर व् सन्नहित सरोवर के किनारे अपने
पूर्वजो व् पितरो का तर्पण किया, अपने पूर्वजो को मोक्ष मिले श्राद पक्ष
के अंतिम दिन चतुर्दशी और अमावस को देश विदेश से श्रद्धालु यहाँ पिंड दान
करने आते है, पुरानो के अनुसार इस दिन सभी तीर्थो का समवेश सन्नहित सरोवर
में होता है,इंग्लेंड की एंग्लो एशियन फ्रेंडशिप सोसाइटी के अध्यक्ष बाबा देविंदर
कुमार घई ने भी इंग्लेंड से आकर यह कुरुक्षेत्र में अपने पितरो के प्रति
पिंड दान व् पूजा अर्चना की, बाबा देविंदर कुमार घई ने इंग्लेंड में
हिन्दुओ के लिए अंतिम संस्कार के स्थान के लिए लड़ाई लड़ी है और वो वहाँ
पर न्ययालय से केश भी जीत गये है, लेकिन उनको रोष है की भारत में उनका
सम्मान तो बहुत हुआ है परन्तु किसी भी नेता या सरकार ने उसका साथ नही
दिया क्योंकि इंग्लेंड में जो समसान बनाया जाएगा उसके लिए वहा पर उनको
पैसे की आवस्यकता है न तो इंग्लेंड की सरकार ने उनकी कोई मदद की है और न
ही वहा रह रहे हिन्दुओ ने उनकी मदद की है फिर भी वह अपना सब कुछ दांव पर
लगा कर यह लड़ाई जित गये है,

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