शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013

अशोक यादव 
चण्डीगढ़, ४ अक्तूबर- हरियाणा मंत्रिमंडल की आज यहां मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य में नगरपालिकाओं में सम्पत्ति कर को तर्क-संगत बनाने के लिए गठित कमेटी की सिफारिशों को स्वीकृति प्रदान की है।
       उल्लेखनीय है कि सरकार ने २ जुलाई २०१३ को उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री रणदीप सिंह सूरजेवाला की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कमेटी के अन्य सदस्यों में विधायक श्री बी बी बतरा, श्रीमती सावित्री जिन्दल, नगर परिषद नरवाना के अध्यक्ष  श्री भारत भूषण, नगर परिषद भिवानी के उपाध्यक्ष श्री मामनचंद शामिल थे।
       कमेटी की ९ जुलाई, २४ जुलाई, १२ व १३ अगस्त को बैठके हुई थीं तथा १३ अगस्त का कमेटी ने अपनी सिफारिशे सौंप दी।
        मस्जिदों, मन्दिरों, गिरिजाघरों तथा गुरुद्वारों सहित धार्मिक सम्पत्तियों से जुड़े सभी भवनों तथा  भूमियों को सम्पत्ति कर से छूट दी जाएगी। परन्तु वे समुदाय को बिना किसी प्रभार के व्यापक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और समस्त आय केवल धार्मिक कार्यों हेतु लगाई जा रही है/प्रयोग की जा रही है ।  परन्तु यह और कि ऐसी संस्थाएं अपनी आय निजी धार्मिक प्रयोजनों अथवा किसी विशेष जाति अथवा वर्ग के लाभ के लिए प्रयोग में नहीं लाती हैं। यदि ऐसी सम्पत्ति का कोई भाग धार्मिक प्रयोजन से भिन्न किसी अन्य प्रयोजन के लिए प्रयुक्त किया जाता है, तो सम्पत्ति का वह भाग सामान्य लागू दर पर सम्पत्ति कर की अदायगी के लिए दायी होगा ।
         धार्मिक सम्पत्तियों, अनाथालयों, भिक्षुक-गृहों, नगरपालिका भवनों, शमशानघाटों/ कब्रिस्तानों, धर्मशालाओं, केन्द्रीय तथा राज्य सरकार के शिक्षण संस्थानों/सरकारी अस्पतालों पर शत-प्रतिशत छूट दी जाएगी। सेवारत सैनिकों / अर्धसैनिक बल के कार्मिक तथा भूतपूर्व सैनिकों/ अर्धसैनिकों अथवा उसके / उसकी पति/पत्नी, मृतक सैनिकों /भूतपूर्व सैनिकों/भूतपूर्व केन्द्रीय अर्ध-सैनिक बल के कार्मिक के परिवारों के ३०० वर्ग गज तक के स्वामित्व वाले आवासीय मकानों को शतप्रतिशत छूट दी जाएगी यदि वे हरियाणा राज्य में कोई अन्य रिहायशी मकान नहीं रखते हों तथा इसमें स्वयं निवास कर रहे हों तथा मकान का कोई भाग किराये पर नहीं दे रखा हो । यह और कि मकान को किराये पर देने की शर्त उन पर लागू नहीं होगी जो प्रति मास एक हजार दो सौ पचहत्तर या कम पेंशन  प्राप्त कर रहे हैं ।
        स्वतंत्रता सेनानी अथवा उसके / उसकी पति / पत्नी तथा युद्ध विधवाओं के स्वामित्व में स्वयं रहने वाले आवासीय मकानों पर शतप्रतिशत छूट दी  जाएगी  यदि वे हरियाणा राज्य में कोई अन्य रिहायशी मकान नहीं रखते हों तथा इसमें स्वयं निवास कर रहे हों तथा मकान का कोई भाग किराये पर नहीं दे रखा हो  ।  बागवानी/कृषि के लिए प्रयुक्त एक एकड़ तथा अधिक के खाली प्लॉट को शतप्रतिशत छूट दी जाएगी । राज्य सरकार के भवनों ; बोर्ड, निगम, उपक्रम/स्वायत्त निकायों के भवनों से भिन्न को ५० प्रतिशत छूट दी जाएगी। परन्तु स्वामी उपरोक्त छूट में से किसी एक छूट का चयन कर सकता है जो उसे अनुज्ञेय हो।
        सम्पति कर के लिए नगर निगम गुडगांव तथा फरीदाबाद को ए १ शहर   तथा नगर निगम अम्बाला, पंचकुला, करनाल, पानीपत, रोहतक, हिसार तथा यमुनानगर  को ए२  शहर    वर्गीकृत किया गया है।
     
ए-वन शहरों में-

 ए) आवासीय संपतियां- घर के लिए
·       ३०० वर्ग गज तक    - एक रुपए प्रति वर्ग गज
·       ३०१ से ५०० वर्ग गज तक -  चार रुपए प्रति वर्ग गज
·       ५०१-१००० वर्ग गज तक - छः रुपए प्रति वर्ग गज
·       १००१ से दो एकड़ तक- सात रुपए प्रति वर्ग गज
·       दो एकड़ से ऊपर- १० रुपए प्रति वर्ग गज

बी) कर्मर्शियल जगह के लिए
·       १००० प्रति वर्ग गज तक - १२ रुपए प्रति वर्ग गज
·       १००० प्रति वर्ग गज से ऊपर- १५ रुपए प्रति वर्ग गज

सी) संस्थागत- कर्मर्शियल के लिए
·       २५०० प्रति वर्ग गज तक - १२ रुपए प्रति वर्ग गज
·       २५०१ से ५००० प्रति वर्ग गज तक- १८ रुपए प्रति वर्ग गज
·       ५००० प्रति वर्ग गज से ऊपर - २४ रुपए प्रति वर्ग गज

डी) संस्थागत- गैर-कर्मर्शियल के लिए
·       २५०० प्रति वर्ग गज तक - १० रुपए प्रति वर्ग गज
·       २५०१ से ५००० प्रति वर्ग गज तक- १२ रुपए प्रति वर्ग गज
·       ५००० प्रति वर्ग गज से ऊपर - १५ रुपए प्रति वर्ग गज

ई) बेसमेंट, जोकि केवल अपने लिए ही पार्किंग हेतू प्रयोग की जा रही है, को संपति कर से छूट होगी।
एफ) ए२, बी, सी श्रेणी के शहरों की दर उपरोक्त निर्णय ए,बी,सी और डी के अनुसार होगा।
जी) जो संपति मालिक दरों की अधिसूचना के ४५ दिनों के भीतर वर्ष २०१२-१३ तक अपने संपति कर और पिछले बकाया को दे देंगें, उन्हें एक बार ३० प्रतिशत की छूट दी जाएगी।



अशोक यादव 
चंडीगढ, ४ अक्तूबर-हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने आज कहा कि सरकार उत्कृष्ट खिलाडि़यों को सम्पत्ति कर में छूट देने पर विचार करेगी जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में प्रदेश का नाम रोशन किया है।
        मुख्यमंत्री आज हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करने उपरान्त एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे, जब श्री हुड्डा ने राज्य में सम्पत्ति कर में संशोधन करने की घोषणा की तो उनसे प्र्रतिक्रिया व्यक्त करने को कहा कि क्या सरकार उत्कृष्ट खिलाडि़यों को सम्पत्ति कर में छूट देगी ?
         इस अवसर पर संसदीय कार्यमंत्री श्री रणदीप सिंह सूरजेवाला, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री एस एस ढिल्लों व डॉ० के के खण्डेलवाल, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव पी रघुवेन्द्र राव व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।



अशोक यादव 
चंडीगढ, ४ अक्तूबर-हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में आज  यहां हुई हरियाणा मंत्रीमंडल ने हरियाणा नगरपालिका विकास कोष सृजित करने को सैद्घांतिक स्वीकृति प्रदान की।
मुख्यमंत्री आज हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करने उपरान्त एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे ने कहा कि इस कोष के लिए सभी नगरनिगम, नगरपरिषद तथा नगरपालिकाएं सम्पत्ति कर संग्रहण का २० प्रतिशत तथा नीलामी राशि का दस प्रतिशत योगदान देंगें। कोष का उपयोग राज्य के नगरपालिका क्षेत्रों में शहरी विकास की विभिन्न परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। योजना की विस्तृत ब्यौरा विधि विभाग की सलाह से तैयार किया जाएगा।    



अशोक यादव 
चंडीगढ, ४ अक्तूबर - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पंजाब सरकार के पत्र क्रमांक २०५-एसटी, दिनांक ११ फरवरी १९३७, जिसके तहत हस्तातंरण या विलय या एकीकरण के मामलों में कम्पनियों को स्टाम्प डयूटी में छूट दी गई थी, को वापस लेने के राजस्व तथा आपदा प्रबन्धन विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई।
मंत्रिमंडल द्वारा इसके लिये प्रारूप अधिसूचना को भी स्वीकृति प्रदान की गई ।
        यह देखा गया कि स्टाम्प डयूटी की छूट से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हो रहा था। इस समय, स्टाम्प डयूटी में उक्त छूट केवल तभी प्राप्त की जा सकती है जब विलय या एकीकरण के समय जारी हिस्सा पूंजी का कम से कम ९० प्रतिशत हस्तातंरित हो जाता है।


अशोक यादव 
चंडीगढ, ४ अक्तूबर - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पंजाब  आर्थिक एवं सांख्यिकीय संगठन (राज्य सेवा वर्ग - ग॒) नियम, १९६३ में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई।


अशोक यादव 
चण्डीगढ़, ४ अक्तूबर - हरियाणा मंत्रीमण्डल की आज यहां मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में पानी का प्रभावी निरीक्षण सुनिश्चित करने तथा विभिन्न विभागों को पानी के बिलों की देरी से की जाने वाली अदायगी पर बढ़ते जा रहे अधिभार से राहत प्रदान करने के लिए हरियाणा नहर एवं जल निकास नियम, १९७६ में संशोधन करने की स्वीकृति प्रदान की गई।      
        मंत्रीमण्डल ने पानी चोरी की प्रभावी ढ़ग से रोकथाम के लिए दो संशोधन किए गए है। नियम २४ के उप नियम (१) के तहत बिल की न्यूनतम सीमा लागू जलदर की सीमा कम से कम पाॅंच गुणा होगी जो एक मजबूत निवारक के रूप में कार्य करेगी तथा अधिकतम लागू दर ३० गुणा से कम करके २० गुणा की जाएगी।
        इस बात को महसूस किया गया कि देरी से भुगतान होने वाले पानी के बिलों पर १० प्रतिशत की दर पहले महीने के लिए तथा आगामी महीनों में एक प्रतिशत अधिभार होने के कारण एक बड़ी रकम हरियाणा के सरकारी विभागों तथा सार्वजनिक उपक्रमों पर काफी बढ़ चुकी है। जैसा कि पानी के बिलों के भुगतान के लिए राज्य सरकार द्वारा फण्ड उपलब्ध करवाया जाता है। इसलिए, सरकारी विभागों को अधिभार से राहत दिलाने के मद्देनजर मंत्रीमण्डल में सरकारी विभागों व सार्वजनिक उपक्रमों के लिए अधिभार १० प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत किया है। यदि बिलों के जारी करने के बाद एक महीने के अंदर-अंदर भुगतान की अंतिम तिथि तक शुल्क जमा नही किया जाता है तो उस स्थिति में शेष राशि पर प्रतिमाह ०.१ प्रतिशत अधिभार हरियाणा सरकार के विभागों तथा सार्वजनिक उपक्रमों से वसूला जाएगा।



अशोक यादव 
चण्डीगढ़, ४ अक्तूबर- हरियाणा मंत्रिमंडल ने आज विस्थापित व्यक्तियों, भूतपूर्व सैनिकों या अन्य भूमिहीन  या गरीब व्यक्तियों जिन्हें अधिनियम के तहत भूमि उपलब्ध करवाई जाती है को बड़ी राहत प्रदान करते हुए पूर्वी पंजाब भूमि का उपयोग अधिनियम, १९४९ में संशोधन के  लिए एक अध्यादेश  लाने की स्वीकृति प्रदान की । अब उनकी पट्टे की अवधि ९९ वर्ष की होगी तथा वे अपनी पट्टे की भूमि पर किसी भी प्रकार की फसल उगा सकेेंगे।
        इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में आज यहां हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। १६,००० परिवारों को लाभ होगा।
        संशोधन के अनुसार प्रभावित भूमिहीन किसान जिन्हें पूर्वी पंजाब भूमि का उपयोग अधिनियम, १९४९ के तहत भूमि उपलब्ध करवाई गई की पट्टा अवधि अब अधिकतम ९९ वर्षों तक  बढ़़ाई गई है। अब किसान अनाज तथा चारा फसलों के साथ-साथ समय की मांग के अनुरूप फसलों की  विभिन्न किस्मों में से किसी प्रकार की फसल उगा सकेंगे।
        अध्यादेश का लक्ष्य  व उद्देश्य उन भूमिहीन व्यक्तियों को पुर्नस्थापित करना है जिन्हें पूर्वी पंजाब भूमि का उपयोग अधिनियम १९४९ के अन्तर्गत भूमि पट्टे पर दी गई थी तथा जिनकी भूमि पर छः या इससे अधिक  बार फसलों की कटाई नहीं हो सकती। इन पट्टेदारों में अधिकांश लघु एवं सीमांत किसान है। गरीब परिवारों के दुखों को कम करने के लिए यह सोचा गया था कि उनको भूमि पट्टे पर दी जाए जिस पर वे पट्टा अवधि समाप्त होने से पूर्व या २४ सितम्बर,१९८६ पर थे जिन्हें न्यायालय के आदेशों पर भूमि से बेदखल करना । संशोधन  सर्वोच्च न्यायालय के बोधनी चमन भूतपूर्व सैनिक पट्टेदार कृषि समिति लि० इत्यादि बनाम हरियाणा राज्य व अन्य के मामले में २४ सितम्बर, १९८६ को दिए गए  निर्णय की तिथि की अनुपालना में किया गया है। इन पट्टेदारों को पट्टे की अवधि की समाप्ति पर निष्कासित करना अनिवार्य था तथा  सर्वोच्च न्यायालय  विवाद को सुलझाना भी था।
        सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि सरकार याचिकाकर्त्ता क ो उनकी दयनीय स्थिति पर विचार करते हुए किसी भी स्थान पर अन्य भूमि आवंटित कर सकती है। निष्कासन उपरान्त इन पट्टेदारों की जीवनयापन के लिए स्थिति  काफी दयनीय थी क्योंकि पट्टा अवधि शुरू होने से  लेकर अब तक फसल उगा रह थे तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में  योगदान दे रहे थे। ये व्यक्ति समाज को अपनी सेवाएं देते रहें है तथा बाद में भी भूमि  पर बने रहे है परन्तु पट्टा अवधि समाप्त होने पर इन्हें  भूमि से बेदलखल किया जाना था।  पूर्वी पंजाब भूमि का उपयोग अधिनियम, १९४९ के प्रावधानों के अनुरूप इन्हें उपज न होने वाली तथा न जोते व बोने योग्य भूमि, आत्मनिर्भरता के लिए अनाज तथा चारा फसलों के लिए दी गई थी, इस कारण पीढी-दर पीढी उनकी मेहनत को नकारा नहीं जा सकता तथा एक कल्याणकारी राज्य को अपने जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटना चाहिए ऐसे व्यक्तियों को राहत प्रदान करने  के लिए इस बात की आवश्यकता महसूस की गई कि वे पट्टे पर बने रहे या उनकी पट्टा अवधि का नवीनीकरण कर अधिकतम ९९ वर्षों तक किया जाए। चुँकि इन लोगों ने जंगलों को साफ कर तथा ऊबर-खाबड भूमि को समतल कर भूमि जोत में सुधार किया है। यह महसूस किया गया कि इनका पट्टा अवधि में विस्तार करना या बढ़ाना न्याय संगत होगा। हालांकि इन पट्टेदारों को पट्टा अवधि समाप्त होने की तिथि से कलैक्टर द्वारा पट्टे का नवीनीकरण जारी करने की तिथि तक की शेष अवधि के लिए उपयोग तथा कब्जा शुल्क देना होगा।



अशोक यादव 
चण्डीगढ़, ४ अक्तूबर-हरियाणा मंत्रिमंडल की आज यहां मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में आबकारी एवं कराधान विभाग के हरियाणा मूल्य संर्वद्घन कर, २००३ तथा हरियाणा मूल्य संर्वद्घन कर नियम, २००३ के सरकार द्वारा  खरीद  के लिए वेट से फार्म सी-३ को हटाने के लिए प्रावधानों में संशोधन के लिए  अध्यादेश लाने  के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की।
        अध्यादेश लाने की आवश्यकता इसलिए है कि अब विधान सभा का सत्र नहीं है। वर्तमान में सभी वस्तुएं जब सरकार को बेची जाती है जिन पर चार प्रतिशत या इससे अधिक की दर से कर वसूला जाता है वेट से फार्म सी-३ को हटाने के  बाद केवल चार प्रतिशत वेट लागू होगा। यह सुविधा चार प्रतिशत की रियायती दरों पर वस्तुओं की खरीद पर केन्द्रीय बिक्री कर अधिनियम, १९५६ के तहत भी सरकार से वसूली जाती है।  केन्द्र सरकार से पहली अपै्रल,२००७ से सरकार द्वारा चार प्रतिशत की दर से केन्द्रीय बिक्री कर की अदायगी कर वस्तुएं खरीदने की सुविधा वापिस ले ली थी।  इस कारण इस बात की आवश्यकता थी कि सरकार की सभी प्रकार की बिक्रियोंं में हरियाणा मूल्य संर्वद्घन, २००३ तथा केन्द्रीय बिक्री कर १९५६ दोनों में एक समानता लाई जाए। फलस्वरूप, सरकारी विभागों द्वारा वस्तुआें की खरीद पर  आम तौर पर लागू वैट की पांच प्रतिशत तथा अवर्गीकृत वस्तुओं पर वर्तमान में लागू वैट की १२.५ प्रतिशत  की दर  देनी होगी।


अशोक यादव 
चंडीगढ़,४ अक्तूबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) नियमावली, १९६४ के नियम ६ (५) में संशोधन किया गया।
        मेडिकल कॉलेज या अन्य शिक्षण संस्थान खोलने के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा उसी संस्थान को स्वीकृति प्रदान की जाती है, जिसके पास अपनी भूमि हो या कम से कम ९९ वर्ष की अवधि के लिए भूमि पट्टे पर ली गई हो।
वर्तमान नियमों में पंचायतें जन-उपयोगी संस्थानों की स्थापना के लिए सरकार की पूर्व अनुमति से पंचायती भूमि को ३३ वर्षों तक पट्टे पर दे सकती हैं। फिर इसका अगले ३३ वर्षों तक नवीनीकरण किया जा सकता है।
सरकार ने अब पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) नियमावली, १९६४ के नियम ६ (५) में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया है कि राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार या उनके अभिकरणों जैसे कि बोर्डों/निगमों द्वारा स्थापित किये जाने वाले शैक्षणिक तथा चिकित्सा संस्थानों के लिए भूमि ९९ वर्ष की अवधि के लिए पट्टे पर दे सकती है।




अशोक यादव 
चंडीगढ़, ४ अक्तूबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा स्वैच्छिक अनुदान (व्यय का विनियमन) नियम, १९६९  में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई।
        हरियाणा स्वैच्छिक अनुदान (व्यय का विनियमन) नियम, १९६९ के अन्तर्गत आवर्ती प्रकृति के किसी अनुदान की अनुमति नहीं है। आमतौर पर ये अनुदान किसी लाभार्थी को केवल एक बार आवंटित किये जाते हैं। आगे इन नियमों में मुख्य संसदीय सचिव या संसदीय सचिव का कोई उल्लेख नहीं है जबकि मुख्य संसदीय सचिव या संसदीय सचिव भी इन अनुदानों के लिए पात्र हैं।
        कई बार एक ही संस्थान को किसी विशिष्ट कार्य को पूरा करने के लिए उसी प्रयोजन से एक से अधिक बार सहायता उपलब्ध करवानी आवश्यक हो जाती है। विकास एवं पंचायत विभाग ने स्पष्ट किया है कि एक ही संस्थान को दूसरी या तीसरी बार अनुदान जारी करने से मौजूदा नियमों का उल्लंघन होता है। हालांकि ऐसा कभी-कभी होता है। इसलिए हरियाणा स्वैच्छिक अनुदान (व्यय का विनियमन) नियम, १९६९ में संशोधन करना अनिवार्य हो गया था।
        संशोधन के अनुसार, आवर्ती प्रकृति का अनुदान कुछ प्रयोजनों या किसी अन्य प्रयोजन के लिए दिया जा सकता है जोकि उससे सम्बंधित न हो बशर्ते कि ऐसी संस्था को किसी मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव या संसदीय सचिव के स्वैच्छिक अनुदान से एक वित्तीय वर्ष में कुल स्वैच्छिक अनुदान की बाहरी सीमा संचित रूप से ५० लाख रुपये से अधिक न हो। मुख्यमंत्री के लिए यह सीमा एक करोड़ रुपये होगी।


अशोक यादव 
चण्डीगढ़, ४ अक्तूबर- हरियाणा मंत्रीमण्डल की आज यहां मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में फतेहाबाद जिले के कूलां गांव उप-तहसील के रूप में अपग्रेड करने की स्वीकृति प्रदान की गई। उप-तहसील कूलां उपमंडल टोहाना का भाग होगा।
        मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा की गई घोषणा के उपरांत उप-तहसील बनाने का प्रस्ताव हिसार मण्डलायुक्त के माध्यम से प्राप्त हुआ था। उप-तहसील का कुल क्षेत्र १५४६९ हैक्टेयर का होगा तथा जनसंख्या ६७,३०६ होगी इसमें २५ गांव, ३ कानूनगो सर्कल तथा १२ पटवार सर्कल शामिल होंगे।
        वर्तमान में फतेहाबाद जिले में ३ उप-मण्डल, ३ तहसील तथा ३ उप-तहसील है।



अशोक यादव 
चंडीगढ, ४ अक्तूबर - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा मूल्य वर्धित कर अधिनियम-२००३ के तहत नोटिस तामील करने की पद्घति में संशोधन करने के आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई और निम्नानुसार नियम बनाये गये।
        वर्तमान में नियमों के नियम ७९ (१)(बी) के तहत नोटिस की तामील पावती देय पंजीकृत डाक द्वारा की जा सकती है। इन दिनों पावती देय डाक की कोई प्रासंगिकता नहीं है  क्योंकि यह डाक अधिकारियों द्वारा शायद ही कभी वापस वितरित किया जाता हो। मंत्रिमण्डल ने च्पावती देय ज् शब्दों के लोप को स्वीकृति प्रदान की और पंजीकृत डाक द्वारा तामील को बरकरार रखा है। च्स्पीड पोस्टज् और च्कूरियरज् द्वारा तामील के तरीकों को, इनकी समान प्रकृति के दृष्टिगत च्पंजीकृत डाकज् की श्रेणी में रखा गया है। फैक्स, संदेश और ई-मेल द्वारा तामील करने के लिये भी प्रावधान किया जायेगा। इसलिये विक्रेताओं से विकल्प लेने के बाद उनके द्वारा टेलीफोन नम्बर और ई-मेल पते घोषित करने के लिये भी प्रावधान किया जायेगा।
        हरियाणा मूल्य वर्धित कर अधिनियम-२००३ के नियम-२ के उपनियम (१) में खण्ड (एमएमएम) पर च्ई-मेलज् या च्इलेक्ट्रॉनिक मेलज् की नई परिभाषा जोड़ने का भी निर्णय लिया गया है। नई परिभाषा के अनुसार ई-मेल या इलेक्ट्रॉनिक मेल का अर्थ एक ऐसी प्रणाली से है जिसके अंतर्गत किसी कम्प्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर संदेश भेजना या प्राप्त करना है।
        इसलिये उपरोक्त परिवर्तनों को क्रियान्वित करने के लिये मौजूदा नियम ७९ को नये नियम ७९ से प्रतिस्थापित किया गया है। नियमों में इस परिवर्तन से नोटिस तथा विभिन्न आकलन प्राधिकरणों के आदेशों की तामील को और अधिक गतिशील तथा प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी ताकि विक्रेता को किसी प्रकार की परेशानी न हो या वह आबकारी एवं कराधान विभाग के साथ अपने आकलन या अन्य मामलों के संबंध में अंधेरे में न रहे। इससे विभाग तथा विक्रेता के बीच संचार की खाई को पाटने में भी मिलेगी।




अशोक यादव 
चंडीगढ, ४ अक्तूबर - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा वैट अधिनियम, २००३ की धारा-७ के उपधारा (६) और (७) के तहत विश्ेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित पंजीकृत विक्रेताओं द्वारा प्रयोग के लिये घोषणा निर्धारित करने के संबंध में आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई।
        इसलिये, एक नया नियम २१ए जोड़ने के अलावा, हरियाणा मूल्य वर्धित कर अधिनियम-२००३ में फार्म वैट-डी२ए में एक नया घोषणा प्रपत्र जोड़ा जायेगा क्योंकि इससे हरियाणा मूल्य वर्धित कर अधिनियम, २००३ की धारा-७ की उपधारा (७) को क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी। इससे विशेष आर्थिक क्षेत्रों के अन्दर स्थित इकाइयों द्वारा कर मुक्त वस्तुओं की खरीद को बढ़ावा मिलेगा और उन्हें कर लाभ दिया जा सकेगा।


अशोक यादव 
चंडीगढ, ४ अक्तूबर - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल में विभिन्न विभागों की वार्षिक प्रशासकीय रिपोर्टों का पुनरावलोकन किया गया तथा उन्हें स्वीकृति प्रदान की गई।  इनमें वर्ष २०१०-११ के लिये सर्तकता विभाग की वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट, वर्ष २००९-१०, २०१०-११, २०११-१२ के लिये भू-राजस्व प्रशासन, ३० सितम्बर, २००४ को समाप्त कृषि वर्ष २००४ (२००४-०५), २००५-०६, २००६-०७, २००७-०८, २००८-०९, २००९-१०, २०१०-११, २०११-१२ के लिये भू-अभिलेख निदेशालय की वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट्स शामिल हैं।
        मंत्रिमण्डल द्वारा वर्ष २००५-०६, २००६-०७, २००७-०८, २००८-०९, २००९-१०, २०१०-११, २०११-१२ के लिये पंजीकरण विभाग की वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट्स तथा वर्ष २००७ के लिये पुलिस विभाग की  वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट का पुनरावलोकन किया गया तथा  स्वीकृति प्रदान की गई।
मंत्रिमण्डल द्वारा वर्ष २०१२-१३ के लिये आर्थिक एवं सांख्यिकीय विश्लेषण विभाग की वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट तथा वर्ष २०११-१२, २०१२-१३ के लिये पर्यावरण विभाग की  वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट का भी पुनरावलोकन किया गया तथा  स्वीकृति प्रदान की गई।
        मंत्रिमण्डल द्वारा राज्य विधान सभा के समक्ष रखने के लिये वर्ष २०१०-११ के लिये  हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट तथा खातों का भी पुनरावलोकन किया गया और स्वीकृति प्रदान की गई। वर्ष २००९-१०, २०१०-११ के लिये तकनीकी शिक्षा विभाग, वर्ष २०१२-१३ के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा वर्ष २००९-१० के लिये खेल एवं युवा मामले विभाग की वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट्स का भी पुनरावलोकन किया गया तथा  स्वीकृति प्रदान की गई।


अशोक यादव 
चंडीगढ, ४ अक्तूबर - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल में च्हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोगज् के गठन लिये प्रारूप अधिसूचना को स्वीकृति प्रदान की गई।
आयोग में अध्यक्ष, जो कि सामजिक जीवन में विस्तृत अनुभव के साथ किसी अनुसूचति जाति से संबंधित एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हो, समेत कुल चार सदस्य होंगे। अनुसूचित जाति से संबंधित अधिक से अधिक तीन गैर-सरकारी सदस्य सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों से संबंधित मामलों में विशेष ज्ञान वाले योग्य और ईमानदार व्यक्तियों में से नियुक्त किये जायेंगे। अध्यक्ष या आयोग के तीन सदस्यों में से एक व्यक्ति ने कम से कम सात वर्ष पहले कानून की डिग्री हासिल की हो। आयोग के चार गैर-सरकारी सदस्यों में से एक महिला होगी।
निदेशक, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा विभाग कल्याण विभाग, हरियाणा आयोग के पदेन सदस्य होंगे। आयोग में सचिव सरकार द्वारा हरियाणा राज्य सिविल सेवा के अधिकारियों में से नियक्त किया जायेगा, जो कि संयुक्त सचिव के रैंक से नीचे का नहीं होगा। अध्यक्ष तथा सदस्यों, पदेन सदस्यों को छोड़कर, का कार्यकाल तीन वर्ष से अधिक की अवधि का नहीं होगा। आयोग का अध्यक्ष या कोई सदस्य राज्य सरकार को संबोधित अपने हस्तलिखित पत्र द्वारा किसी भी समय अपने पद से त्याग पत्र दे सकता है। राज्य सरकार अध्यक्ष या किसी सदस्य को उसके पद से हटा सकती है - यदि वह व्यक्ति दिवालिया हो जाता है या दोषी पाया जाता है और उसे किसी अपराध के लिये एक वर्ष या अधिक के लिये जेल की सजा हो जाती है या विक्षिप्त हो जाता है या किसी सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया जाता है या कार्य करने से मना कर देता है या कार्य करने में अक्षम हो जाता है या आयोग से अनुपस्थिति का अवकाश प्राप्त किये बगैर आयोग की तीन निरंतर बैठकों से अनुपस्थित रहता है या सरकार की राय में अध्यक्ष या सदस्य के रूप में अपने पद का दुरूपयोग करता है जिससे कि यह लगे कि ऐसे व्यक्ति का पद पर बने रहना अनुसूचित जातियों के हित में नहीं है।
इस खण्ड के तहत किसी व्यक्ति को नहीं हटाया जायेगा, यदि उस व्यक्ति को राज्य सरकार की पूर्व-सहमति से प्रशासनिक सचिव, हरियाणा सरकार, अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग द्वारा उस मामले में सुनवाई का अवसर दिया गया हो। परित्यक्त  प्रावधानों या अन्यथा पैदा हुई रिक्ति को सरकार द्वारा नई नियुक्ति द्वारा भरा जा सकता है और इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति, उस व्यक्ति की शेष कार्यावधि तक अपने पद पर रहेगा, जिसकी रिक्ति में ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया गया है। यदि अध्यक्ष के अलावा किसी सदस्य की रिक्ति उस अनुवर्ती तिथि, जिसको उस सदस्य की कार्यावधि समाप्त हो रही है, से छः माह के अन्दर रिक्ति होती है तो ऐसी रिक्ति को भरा नहीं जायेगा।
जहां तक आयोग के कार्यों का संबंध है, तो इसका कार्य भारत के संविधान के तहत या उस समय के लिये लागू किसी अन्य कानून के तहत या सरकार के किसी अन्य आदेश के तहत उपलब्ध करवाये गये अनुसूचित जातियों के हित से संबंधित सभी मामलों का अन्वेषण करना, परीक्षण करना और निगरानी करना तथा ऐसे उपायों के कार्यान्वयन का मूल्याकंन करना, अनुसूचित जातियों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक विकास की योजना प्रक्रिया में भागीदारी करना और परामर्श देना तथा उनके विकास की प्रक्रिया का मूल्याकंन करना। यह अनुसूचित जातियों को प्रभावित करने वाली वैधानिक तथा विकासात्मक नीतियों पर परामर्श देगा और अनुसूचति जातियों से संबंधित कानूनों तथा कल्याणकारी उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा तथा उनकी सामाजिक-आर्थिक तथा शैक्षणिक स्थिति में सुधार के लिए कानूनी तथा प्रशासनिक सुधारों के लिये पहल करेगा। यह अनुसूचति जातियों के अधिकारों तथा हितों के हनन के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जांच भी करेगा, अनुसूचित जातियों की समस्याओं के बारे में अध्ययन और अनुसंधान करेगा तथा उपयुक्त कार्यवाही के लिये सरकार को इसकी रिपोर्ट देगा।
आयोग अनुसूचित जातियों के किसी व्यक्ति या समूह,जो कि आयोग की राय में, इसके समक्ष लाये गये तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर अन्याय या भेदभाव से पीडि़त हों, की तरफ से जनहित मुकद्दमा चलायेगा या ऐसे मामलों के संबंध में किसी न्यायालय या  प्राधिकरण के समक्ष किसी लम्बित न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करेगा तथा पात्र मामलों में कानूनी सहायता तथा पुनर्वास भी उपलब्ध करवायेगा। यह वार्षिक तथा आयोग द्वारा उपयुक्त समझे जाने वाले ऐसे किसी अन्य समय पर सरकार के पास जायेगा, अनुवर्ती खण्डों में संदर्भित उपायों के कार्यान्वयन पर रिपोर्ट देगा, अनुसूचित जातियों को प्रभावित करने वाले कानूनों के मौजूदा प्रावधानों की समीक्षा करेगा तथा किसी भी  कमी या त्रुटि के लिये सुधारात्मक वैधानिक उपायों के लिये सिफारिश करेगा।
आयोग अनुसूचित जातियों की सुरक्षा, कल्याण, सामाजिक-आर्थिक तथा शैक्षणिक विकास तथा किसी अन्य मामले, जो कि अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिये आयोग द्वारा अनिवार्य तथा उपयुक्त समझा गया हो या जो सरकार द्वारा इसे सौंपा गया हो, के लिये उपाय सुझायेगा और इनकी सिफारिश करेगा ।
सरकार अनुसूचित जातियों को प्रभावित करने वाले सभी मुख्य नीति मामलों में आयोग की सलाह लेगी। यदि इस धारा में विनिर्दिष्ट किसी मामले में भारत के संविधान के अनुच्छेद ३३८ के तहत संस्थापित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा कार्यवाही की जा रही है, तो ऐसे मामले में राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अधिकार क्षेत्र स्थगित हो जायेगा। आयोग की सलाह का प्रेरक मूल्य होगा और सरकार द्वारा सामान्यतः स्वीकार कर ली जायेगी बशर्ते की वित्तीय सीमा, नीति संबंधी बाधा, प्रशासकीय अनिवार्यता और वैधानिक बाध्यता न हो।
आयोग की बैठक का स्थान चण्डीगढ़ या पंचकूला में आयोग का मुख्यालय और ऐसा स्थान होगा जोकि अध्यक्ष द्वारा उपयुक्त समझा गया हो। आयोग की बैठक के लिये कोरम अध्यक्ष समेत कम से कम तीन सदस्यों का होगा। आयोग की बैठक आवश्यक समझे जाने  पर होगी परन्तु प्रत्येक दो माह में एक बार जरूर होगी।
आयोग के पास अपने कार्यों के निष्पादन के लिये, किसी मुकद्दमे की सुनवाई करते समय दीवानी न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी तथा विशिष्ट रूप से, किसी व्यक्ति को समन भेजने तथा उपस्थिति के लिये बाध्य करने तथा शपथ पर उसकी जांच करने, किसी दस्तावेज को खोजने तथा प्रस्तुत करने की मांग करने, शपथ पत्रों पर साक्ष्य लेने, किसी सार्वजनिक रिकार्ड की मांग करने या किसी न्यायालय या कार्यालय से इसकी प्रति मांगने, गवाहियों और दस्तावेजों की जांच के लिये कमीशन जारी करने तथा सरकार द्वारा अधिसूचित किसी अन्य मामले के संबंध में शक्तियां होंगी।
आयोग जांच करने के उद्देश्य से हरियाणा राज्य के किसी अधिकारी या जांच एजेंसी का प्रयोग कर सकता है। किसी अन्य विशिष्ट एजेंसी या प्राधिकरण या व्यक्ति का इस्तेमाल राज्य सरकार की अनुमति से होगा।



अशोक यादव 
चंडीगढ, ४ अक्तूबर - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल में मोटर वाहनों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने, प्रणाली को पारदर्शी बनाने तथा पंजीकरण प्राधिकारियों के कार्यालयों में काम के बोझ को कम करने के लिए हरियाणा मोटर वाहन नियम, १९९३ में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई।
        संशोधन के अनुसार, हरियाणा मोटर वाहन नियम, १९९३ के नियम ३३ में उपनियम (२) के बाद उपनियम (३) जोड़ा जायेगा। इसमें कहा गया है, च्सरकार ऐसी शर्तों के साथ ऐसे कार्यों के निष्पादन के लिये किसी फ र्म, डीलर या मोटर वाहन निर्माता को सक्षम बना सकती है क्योंकि यह प्रथम बिक्री पर गैर-परिवहन वाहनों के पंजीकरण के संबंध में इसे उपयुक्त मानती है।ज्
        यह सूचित किया गया था कि डीलर वाहनों का विवरण कम्प्यूटर में डालेगा और इसे पंजीकरण प्राधिकरण के पास इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजेगा। डीलर द्वारा वाहन के मालिक को पूर्ण रूप से मुद्रित आवेदन पत्र दिया जाएगा जो कि आवेदन को पंजीकरण प्राधिकरण के कार्यालय में जमा करवायेगा। इस कार्यालय में डीलर द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजा गया आवेदन पत्र आवेदन की आगे की प्रक्रिया के लिये प्रयुक्त किया जाएगा। इससे वाहन मालिकों के समय की बचत होगी।

अशोक यादव 
चंडीगढ़, ४ अक्तूबर-  हरियाणा के वन एवं पर्यावरण मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए लोगों से जानवरों को गोद लेने की योजना में भागीदार बनने का आह्वान किया है।
        कैप्टन यादव आज यमुनानगर के गांव लेदी में आयोजित राज्य स्तरीय वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने लोगों से अपील की कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस योजना से जुड़े तथा जानवरों को गोद लेकर वन्य प्राणियों के संरक्षण में अपना योगदान दें। इस अवसर पर मुख्य संसदीय सचिव प्रहलाद सिंह गिल्लाखेडा, विधानसभा के उपाध्यक्ष अकरम खान, सढौरा के विधायक राजपाल भूखडी, वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रमेन्द्र जाखू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक सीआर जोतरीवाल, मुख्य वन्य प्राणी वार्डन श्रीमती अमरिन्द्र कौर, उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़, कांग्रेस प्रदेश महासचिव भूपाल भाटी,श्यामसुन्दर बतरा, सतपाल कौशिक व नरेश काम्बोज सहित वन विभाग हरियाणा तथा अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
    कैप्टन यादव ने कहा कि रेवाडी जिले में स्थित झाबुआ आरक्षित वन के ८० एकड़ क्षेत्र में मोर एवं चिंकारा प्रजनन केन्द्र की स्थापना की गई है। झाबुआ प्रजनन केन्द्र में केन्द्रीय चिडियाघर प्राधिकरण के सुझाव अनुसार शुष्क एवं रेतीले क्षेत्र में पाई जाने वाली अन्य प्रजातियां जैसे जंगली बिल्ली, लोमड़, भूरा तीतर आदि प्रजातियों का प्रजनन भी आरंभ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त नाहड वन्य प्राणी अभ्यारण में मस्कट को निकाल कर काले हिरणों के विचरण हेतू अनुकूल आवास स्थल विकसित किया जा रहा है। नाहड क्षेत्र में काला हिरणों का प्रजनन केन्द्र बनाया गया है ताकि उस क्षेत्र में काले हिरणों की संख्या बढ़ाई जा सके। उन्होंने कहा कि गिद्ध प्रजाति के पक्षियों की संख्या में अनुमानतः ९९ प्रतिशत कमी दर्ज की गई है। इस प्रजाति को विलोपन से बचाने के लिए बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की सक्रिय भागीदारी से पिंजौर में गिद्व संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र की स्थापना की गई । इस प्रजाति का संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र स्थापित करने वाला हरियाणा पहला राज्य है। गिद्धों की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण है पालतु पशुओं को दी जाने वाली दर्दनिवारक दवाई डाईक्लोफिनेक। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार से डाईक्लोफिनेक दवाई का पशुओं के इलाज पर उपयोग करने पर भी प्रतिबन्ध लगाने में कामयाबी पाई है।
        वन मंत्री ने कहा कि राज्य में तीन चिडि़याघर स्थापित किए गए है
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