एलर्जी क्या है: डॉ. ऋषि पाल गुप्ता
हर मानव शरीर में प्रतिरोधक क्षमता होती है जिसे इम्यून सिस्टम कहते हैं। जब कभी बाह्य कण जैसे कीटाणु वायरस,रसायन धूल मिट्टी आदि हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो शरीर की यही प्रतिरोधक शक्ति उक्त कणों से हमारे शरीर में होने वाले नुुकसान को रोकती है। परन्तु जब बार-बार ये कण हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं तो हमारा इम्यून सिस्टम अति संवेदनशील हो जाता है इसी प्रतिक्रिया को एलर्जी कहते हैं।
एलर्जी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित करती है परन्तु मुख्यतया यह नाक, ऑंख व चमड़ी को प्रभावित करती है।
नाक की एलर्जी (एलर्जिक राइनाइटिस):-नाक की एलर्जी की कोई आयु सीमा नहीं होती ये 6 महीने के बच्चे से लेकर 70 साल तक के व्यक्ति को भी हो सकती है। आम सर्दी या जुकाम एलर्जिक राइनाइटिस नहीं है यह सामान्यत: वाइरल इन्फेकशन के कारण होता है आपको सर्दी के लक्षण हैं और अगर 7 से 10 दिन तक बने रहते हैं तो इसका मतलब है आप एलर्जिक राइनाटिस से पीडि़त हैं।
एलर्जिक राइनाटिस के प्रकार:-
1. मौसमी एलर्जिक राइनाइटिस यह वर्ष के विशेष समय में ही होता है।
2. स्थाई एलर्जिक राइनाइटिस यह पीडि़त व्यक्ति को साल भर सताता है तथा मौसम के साथ नहीं बदलता है। किसी खास मौसम में तो यह और बदतर हो सकता है।
लक्षण:-
10-12 बार लगातार छींकना, नाक से पानी आना, नाक बंद हो जाना, नाकमें खुजली होना, सांस लेने में तकलीफ महसूस करना, आंखों व गले में खुजली होना, आंखे लाल हो जाना व पानी आना,संूघने की शक्ति कम होना, लम्बे समय तक खांसी होना, गले में कफ जमना एवं कानों में भारीपन होना और कम सुनना।
क्या एलर्जिक राइनाइटिस जानलेवा हो सकता है?हालांकि शुरुआती दौर में एलर्जिक राइनाइटिस जानलेवा नहीं होता है। इससे सही नींद नहीं आती, स्कूल या कार्यस्थल पर काम में गड़बड़ हो जाती है तथा चेहरे पर परेशानी के भाव दिखने लगते है। बंद नाक, बहती नाक, छींकती नाक तथा लगातार खुजलाती नाक से आपकी जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो अंततोगत्वा आपकी सामाजिकजिंदगी पर भी बुरा असर ड़ालने लगता है। कभी-कभी एलर्जिक राइनाइटिस से अन्य कई परेशानियां भी पैदा हो सकती हंै, खासकर बच्चों में। इससे उनके कान में इन्फेक्शन हो सकता है। ठीक से न संूघना या ठीक से स्वाद न आना जैसी कई परेशानियां एलर्जिक राइनाइटिस की वजह से पैदा हो सकती हैं।
एलर्जिक राइनाइटिस का उपलब्ध इलाज---एलर्जिक राइनाइटिस का इलाज आम तौर पर एंटीहिस्टामिन्स से किया जाता है। एंटीहिस्टामिन्स सबसे पहले हिस्टामिन के असर को रोकता है जिससे छींकना तथा नाक का बहना रुक जाता है। लेकिन एंटीहिस्टामिन्स बंद नाक में राहत नहीं पहुंचा सकती है, बंद नाक का इलाज सामान्यत: डिकंजेस्टेन्ट से किया जाता है, जो नाक के अंदर की नसों को सिकोड़ देता है,ये डिकंजेस्टेन्ट (मुंह से खाने वाली दवाई) तथा नेजल ड्राप के रूप में मिलता है लेकिन न तो वे एजर्ली के इलाज में सक्षम हैं और न ही संूघने की खत्म हो गई शक्ति को सुधार सकते हैं। वास्तव में इन दवाईयों का अत्याधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि दवा बंद या खत्म होने पर नाक में बदतर जकडऩ हो सकती है। अन्य इलाजों में इम्यूनोथरेपी या सोडियम क्रोमागलाइकेट(दिन में 4-6 बार करने पर ही असरकारक) शामिल है।
नाक जकडऩ तथा एलर्जी व सम्बंधित लक्षणों में राहत पहुंचाने का सबसे असर कारक इलाज है इन्ट्रा-नेजल कांर्टियॉरिटरार्डड्रस (आइएनएस) जो एलर्जिक राइनाइटिस की सभी परेशानियों का इलाज करता है अगर निर्देशों के अनुसार इस्तेमाल किया जाए तो (दिन में 1-2 बार) आइएनएस सबसे प्रभावी ढंग से काम करता है।
एलर्जी को कैसे टाला जाए -अगर बाहर हवा चल रही है तो खिड़कियां बंद रखें, खासकर गर्मी और खुष्क दिनों में।
फर्नीचर को हल्के गीले कपड़े और फर्श को गीले पोचे से साफ करें।
उन दरियों को हवा दे जिन में धूल बैठती है, फर्श को खुला रखें।
फूलों का पराग :-हवा के मौसम में खिड़कियों को बंद रखें, खासकर दोपहर में जब हवा में ज्यादा पराग होता है।
घर के अन्दर फूलों वाले पौधे या ताजे फूलों को न रखें।
अगर आपका पालतू जानवर है तो उसे किसी को दे दो।
उसे अपने कमरे सोने के कमरे से हमेशा बाहर रखें और सप्ताह में कम से कम एक बार अवश्य नहलायें।
ठण्डी हवा या मौसम में बदलाव-
अपने नाक मुंह को रूमाल से ढक कर रखें।
जाड़ों/सर्दी में या हवा के दिनों में गरम कपड़े पहनें।
अपने नाक और मुंह को रूमाल या पतले कपड़े से ढकें।
सिगरेट न पिएं और न ही घर केअंदर किसी को सिगरेट पीने दें।
व्यायाम -ये पक्का तय कर लें कि ज्यादा व्यायाम से पहले वार्म अप और व्यायाम के बाद कूलडाउन करें।
तेज महक जैसे परफ्यूम, रंग, खाने के मसाले- इनकी सीधी गन्ध से बचने के लिए अपने नाक, मुंह को रूमाल या पतले कपड़े से ढक कर रखें।
महत्वपूर्ण जानकारी- नेजल स्प्रे को लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर किसी प्रकार की कोई भी हानि नहीं होती और सबसे सुरक्षित माने जाते हंै, यह बच्चों को भी लंबे समय तक दिये जा सकते हैं।
डॉ. ऋषि पाल गुप्ता,
एम बी बी एस, एम एस-ई एन टी, एआईआईएमएस
अग्रवाल नर्सिंग होम, सलारपुर रोड़ कुरुक्षेत्र
मोबाईल 09812334543
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