मंगलवार, 1 नवंबर 2011

रत्नावली का आगाज आज से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में जुटेंगे प्रदेशभर से 3000 प्रतिभागी लगेगा लोक संस्कृति का मेला रत्नावाली की वैब्साईट तैयार


कुरुक्षेत्र, 1 नवम्बर
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले प्रदेश स्तरीय हरियाणवी संस्कृति के महाकुम्भ रत्नावली का आगाज बुधवार 2 नवम्बर से होने जा रहा है। अपने 26वें वर्ष में रत्नावली जहां परंपरा के अनुसार नई विधा के रूप में सांगीत (हरियाणा के लोक नाट्य सांग का पुराना नाम सांगीत था) संध्या को लेकर आ रही है। इसके साथ ही इस बार चौपाल विधा को प्रतियोगिता के रूप में शामिल किया जा रहा है। इस सम्बंध में विस्तृत जानकारी देते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि इस बार नई विधा के रूप में सांगीत का प्रयोग किया जा रहा है जिसमें ब्रज की चौपाई, रसिया, पटका,  व चमौला आदि की प्रस्तुतियां होंगी। हरियाणा में करीब 500 धुनें हैं जिनमेंसे उनके पास 150 हरियाणवी धुनों का संकल्न है।
 अनूप लाठर ने बताया कि रत्नावली के हर सुनहरे पलों को  विश्वव के किसी भी कोने में बैठ कर सांझा कर सकते हैं। इसके लियेे नई तकनीक का भी प्रयोग हो रहा है। इंटरनैट के माध्यम से फेसबुक पर, ब्लाग व मेल के माध्यम से रत्नावली का प्रसार हो रहा है। रत्नावली के मंच से उपजी प्रतिभाएं आज विभिन्न मीडिया संस्थानों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी हैं। उनमें से शुभा जोकि शाहरूख खान के साथ एड फिल्मों में काम कर रही हैं, शोभना रावत आदि कई प्रतिभाऐं इस बार रत्नावली में आ रही हैं। उन्होंने बताया कि कलाकारों केे इस महाकुम्भ में कुलपति डा. डीडीएस संधु मुख्यअतिथि के रूप में अपना आर्शिवाद देंगे और हरियाणा के ख्याति प्राप्त मुक्केबाज मनोज कुमार भी अपने कोच राजेश व अपने परिवार सहित 2 नवम्बर को रत्नावली समारोह में पहुंच रहे हैं। विश्वविद्यालय की तरफ से हरियाणा व आसपास के राज्यों के करीब 16 विश्वविद्यालयों को हरियाणवी संस्कृति के इस माहकुम्भ में शिरकत करने के लिये न्यौता भेजा गया है। संभावना है कि इस समारोह में दो दर्जन के करीब विधाओं में 3000 प्रतिभागी भाग लेंगे।
 उन्होंने कहा कि रत्नावली एक उत्सव व समारोह मात्र नहीं अपितु यह एक सांस्कृतिक यज्ञ है जिसमें प्रदेश के हजारों युवा अपनी आहूति डालते हैं। यह एक सांस्कृतिक प्रयोगशाला है जिसमें हरियाणवी संस्कृति को लेकर अनेक सफल प्रयोग हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार विख्यात वैज्ञानिक ऐडीसन ने अपने नाम 1096 पेटैंट करवाऐ व यह विचार दिया कि किसी खोज का असफल होना भी यह बताता है कि अगर कोई प्रयोग असफल हुआ तो यह साबित हो जाता है कि इससे क्या नहीं हो सकता। उसी प्रकार हमने रत्नावली मे अपने प्रयोगों को सफलता की कसौटी पर नहीं देखा बल्कि संस्कृति को समृद्ध करने के लिये जो भी लगा उसी को रत्नावली का हिस्सा बनाने का प्रयास किया।

रत्नावाली की वैब्साईट तैयार

अनूप लाठर ने बताया कि रत्नावली की अलग वैब्साईट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू  डाट रत्नावली डाट नेट के नाम से तैयार हो चुकी है। इस पर सभी प्रकार की हरियाणवी वीडियो, नाटक आदि उपलब्ध होंगे और उनको निशुल्क डाऊनलोड करने की छूट होगी।

अब हरियाणा से बाहर भी होगा रत्नावली का प्रसार

अनूप लाठर के अनुसार इस बार कई टीमें रत्नावली पर विशेष कवरेज तैयार करेंगी व हरियाणा से बाहर तक इसका प्रसार होगा। उन्होंने बताया कि पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला, गुरुगोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली, चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा, डीएवी कालेज यमुनानगर व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्यौगिकी संस्थान की टीमें 4 दिन रत्नावली पर विशेष पैकेज तैयार करेंगी। 
हरियाणवी में पहली काटून चित्रकथा का होगा विमोचन

अनूप लाठर ने बताया कि उनकी टीम हरियाणी में काटून चित्रकथा पर काम कर रही है। सर्प दमन नाम इस पुस्तक की कथा उनके  द्वारा स्वंय लिखी गई है और चित्रांकन सहित अन्य सभी कार्य सुकेत कलागृह के साथ सुनील कौशिक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस की कथावस्तु एक लोक कथा पर आधारित है। इसका विमोचन भी संभवत: रत्नावली के दौरान किया जाऐगा।

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