रविवार, 16 अक्तूबर 2011

वेदो ग्रन्थों की ज्ञान की भाषा डा.के.के. खण्डेलवाल हरियाणा के मु यमन्त्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव एवं सूचना,जन स पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के वित्तायुक्त


कुरुक्षेत्र 16 अक्टूबर, हरियाणा के मु यमन्त्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव एवं सूचना,जन स पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के वित्तायुक्त डा.के.के. खण्डेलवाल ने कहा कि संस्कृत वेदो ग्रन्थों की ज्ञान की भाषा है। इस ज्ञान को अन्य भाषाओं में अनुवाद करके ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाये।
डा. के.के. खण्डेलवाल आज स्थानीय पनोरमा एवं विज्ञान केन्द्र में हरियाणा संस्कृत अकादमी द्वारा प्राच्य विद्याओं पर आयोजित राष्ट्रीय सगोष्ठी मेें बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संंस्कृत हजारों वर्ष पुरानी भाषा है तथा यह हमारे प्राचीन ग्रन्थों की भाषा है। संस्कृत भाषा में असीम ज्ञान स माहित है लेकिन इस भाषा को ज्यादा लोग नही समझ पाने के कारण सभी लोग इसके ज्ञान का लाभ नही उठा पाते । संंस्कृत अकादमी इस भाषा के ग्रन्थों व पुस्तकों का सभी भाषाओं में अनुवाद करवायें। उन्होंने कहा कि कुरूक्षेत्र में विश्वविद्यालय होने के कारण विद्वान व विशेषज्ञ मिल जायेंगे। इन विशेषज्ञों की सेवायें अन्य भाषाओं में अनुवाद के लिए ली जाये । सेवा निवृत विद्वानों व विशेषज्ञों को सरकार की तरफ से उचित मानदेय भी दिया जायेगा।
डा. खण्डेलवाल ने कहा कि जिस प्रकार से गीता का ज्ञान वि िान्न भाषाओं में अनुवादित होने से विश्व के देशों में फैला उसी प्रकार वेदों और ग्रन्थों की भाषा का ज्ञान अन्य भाषाओं में करके ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाना जरूरी है। इस मामले में यदि अन्य अकादमियों की भी सेवा की जरूरत पडेगी तो वह भी उपलब्ध करवाई जायेगी। उन्होंने कहा कि वास्तु शास्त्र ,ज्योतिष विज्ञान के बारे में जो भी परिकल्पनायेे हैं उनपर ओर अधिक शोध और काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के चमत्कारों को देखने के लिए अनेकों बार विदेशी आयें उसी प्रकार योग,वास्तु शास्त्र और ज्योतीष विज्ञान के क्षेत्र में विभिन्न परिकल्पनाओं पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कई अलौकिक घटनाओं का उल्लेख शास्त्रों में मिलता है। इन शास्त्रों के ज्ञान को विस्तार दिया जायें। उन्होंने कहा कि प्राच्य विद्याओं के माध्यम से इन क्षेत्रों में अनुसंधान करने से कई नई चीजें सामने आयेंगी। इसके बाद डा. खण्डेलवाल ने मल्टी आर्ट कल्चरल सैन्टर का दौरा किया तथा सैन्टर की गतिविधियों का अवलोकन किया।
कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डी.डी.एस. सन्धू ने कहा कि संस्कृत 10 हजार साल पुरानी भाषा है। संस्कृत को जिन्दा रखने के लिए अकादमी द्वारा जो भी कार्य $कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय को सौंपा जायेगा उसे अच्छी प्रकार से किया जायेगा। संस्कृत के विद्यार्थियों को रोजगार के क्षेत्रों में भी ओर अधिक अवसर दिए जाने की आवश्यकता है।
अमर उजाला के स पादक श्री उदय कुमार सिन्हा ने कहा कि ने कहा कि जितना ज्ञान संस्कृत भाषा में निहित है उतना अन्य भाषाओं में नही। संस्कृत भाषा के अस्तित्व के लिए हिन्दी भाषा पर भी जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि सस्कृत ऋषि मुनियों की भाषा है जिसे गायन शैली में आत्मसात करने की जरूरत है। जिस प्रकार से महर्षि बाल्मीकि ने रामायण व तुलसी दास ने राम चरीत मानस की रचना की उसी प्रकार संस्कृत की लोक भाषा के रूप में पहचान बननी चाहिए।
हरियाणा संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष डा. रामेश्वर दत शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से भौतिक विकास में हरियाणा पहले न बर पर है उसी प्रकार शिक्षा,संस्कार व ललित कला में भी न बर एक पर लाया जायेगा । अकादमी के निदेशक डा.सुधीर कुमार ने कहा कि संस्कृत के विस्तार के लिए विशेष कदम उठाये जायेंगे। जिस उद्वेश्य के लिए अकादमी की स्थापना की गई है उस उद्वेश्य को हर हाल में पूरा किया जाएगा।
अ बेडकर पीठ के चेयरमैन डा. आर.बी.लांग्यान ने कहा कि संस्कृत हमेशा से ही समृद्ध भाषा रही है। ऋषि मुनियों ने प्राचीन काल में इसी भाषा के माध्यम से ज्ञान का विस्तार किया । समारोह में संगोष्ठि सयोजक मोहन मत्रे ने संस्कृत अकादमी को प्रोत्साहन देने के लिए डा. के.के.खण्डेलवाल का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त सुमेधा कटारिया,एस.डी.एम. सतबीर कूण्डु, हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी के पूर्व चेयरमैन सी.आर.मोदगिल,डा. सुरेन्द्र मिश्र,रमाकान्त अंगीरस ,सतीशशर्मा ,आत्माराम, मदन गुप्ता उपस्थित थे।

कुरुक्षेत्र 16 अक्टूबर, स्वास्थ्य विभाग की तरफ से 17 से 21 अक्तूबर तक स्थानीय लोक नायक जयप्रकाश सामान्य अस्पताल में विशाल पुरूष नसबन्दी व महिला नलबन्दी शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर में विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा एनएसवी तकनीक से आपे्रशन किये जायेंगे।
सिविल सर्जन डा. सुषमा सैनी ने बताया कि यह नसबंदी की नई तकनीक है। जो पुरी तरह से सुरक्षित और सरल है। इस तकनीक से नसबन्दी करवाने से समय भी कम लगता है। इस तकनीक से आपे्रशन में कोई चीरा व टांका नही लगता बल्कि आपे्रशन मशीन द्वारा किये जाते हैं। इस शिविर में आप्रेशन करवाने वालों को 1100 रूपये की प्रोत्साहन राशि नकद दी जायेगी।



1 टिप्पणी:

  1. मित्र इस प्रकार के आयोजन का क्या लाभ जब मुख्य बेनर में ही राष्ट्रीय शब्द गलत लिखा गया है।

    जवाब देंहटाएं